Tuesday, 31 March 2009


मज लागली गुरुंची आस - - - श्री गजानन महाराज यांच्यावर लिहिलेले हे गीत आपनासमोर सादर करत आहे.

मज लागली गुरुंची आस - - -

मज लागली गुरुंची आस
मज होतसे तयांचा भास्
जिकडे बघावे तिकडे "श्री"
व्यापिले अवघे चराचर !! ध्रु!!

वैश्वानर पेटला चिलिमी
निर्जल वापिस आले जल
चमत्कार तयाचे पाहून
माझे जुड़ले करालाकर !!१!!

मनाचिया जोगे सिद्धि पावे
चमत्कार अन्यथा न होवे
ज्याच्या साथी उच्चारिले शब्द
त्याला मर्म कडे बरोबर !!२!!

गुरुंच्या चरनी ठिऊ माथा
तल्लीन मानाने ऐकू गाथा
चरण तयाचे धुवु "नीर"
अम्रुतापरीच खरोखर !!३!!

गीतकार :- निलेश वासुदेव गणगे ( नील कवि )

मोब - ९४०३२५२५२६
संगीतकार :- कोई होगा तो जरुर कॉल करना !

Sunday, 29 March 2009

मेरा गीत सबकेलिये


पाना बहोत है तुमसे
पाना बहोत है तुमसे मगर
खोने का डर है
मै धन दौलत की बात नही करता,
तेरा प्यारही मेरेलिए सबकुछ है!
पाना बहोत है तुमसे मगर खोने का डर है !
तुमको कैसे बताये ?
प्यार कितना करते है,
कैसे समजाये
यादो में तेरी खो जाए ,
पल्कोमे तेरी छुप जाए,
हाँ मै सिर्फ़ सपनों की बात नही करता,
तेरा प्यारही मेरे लिए सबकुछ है !
पाना बहोत है तुमसे मगर खोने का डर है!


तुमको देखा है जबसे
रातोकी नींद दिनका चैन गया है ,
बाहोमे मै तेरी आ जाए ,
ओठोको तेरी छु जाए,
हाँ मै एहसास की बात नही करता,
तेरा प्यार ही मेरे लिए सबकुछ है !
पाना बहोत है तुमसे मगर खोने का डर है!
गीतकार : निलेश वासुदेव गणगे (नील कवि )
मलकपुर. मो-९४०३२५२५२६
संगीतकार :- कोई होगा तो जरुर कॉल करना!